असली गुनाह: इजराइल पर हमला और फिलिस्तीन पर कब्जा

स्थायी शांति के लिए फिलिस्तीन के इलाकों पर इजराइल का कब्जा खत्म होना चाहिए

October 10, 2023 09:35 am | Updated 09:36 am IST

शनिवार को इजराइल पर हमास द्वारा किए गए अभूतपूर्व अप्रत्याशित हमले ने कब्जा एवं अवरुद्ध किए गए फिलिस्तीनी इलाकों में अस्थिर हालातों और हमास जैसे गैर-राजकीय तत्वों द्वारा मजबूत सेना एवं खुफिया एजेंसियों से लैस इजराइल के लिए पैदा किए जा सकने वाले खतरों की याद दिला दी। हमास के इस हमले में लगभग 700 लोग मारे गए। पश्चिमी किनारे (वेस्ट बैंक) में कई महीनों से तनाव की आग धधक तो रही थी, लेकिन किसी ने भी गाजा की तरफ से इस किस्म के समन्वित और कम तकनीक वाले लेकिन घातक आकस्मिक हमले की उम्मीद नहीं की थी। हाल के महीनों में पश्चिमी किनारे के इलाकों में रोजमर्रा के आधार पर हिंसा देखी गई है। शनिवार के हमले से पहले, अकेले इस साल लगभग 200 फिलिस्तीनी और 30 इजराइली मारे गए हैं। बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने बड़े पैमाने पर हिंसा की इन घटनाओं को नजरअंदाज किया और न्यायपालिका में बदलाव सहित अपनी अन्य नीतिगत प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाया। इजराइल की सेना ने गाजा के हालात के अस्थिर ही सही, लेकिन नियंत्रण में होने के मद्देनजर, उसे “स्थिर अस्थिरता” के रूप में वर्णित किया। और फिर हमास का यह हमला हुआ। इस हमले ने 1973 के योम किप्पुर युद्ध की याद दिला दी जिसमें मिस्र और सीरिया ने इजराइल को हिलाकर रख दिया था। हमास, जोकि एक इस्लामी आतंकवादी संगठन है तथा जिसने 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में कई आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया था, ने आम नागरिकों और सैनिकों के बीच कोई अंतर नहीं करते हुए हाल के इतिहास में इजराइल को सबसे बड़ा झटका दिया।

यह हमला कई नैतिक और व्यावहारिक सवाल खड़े करता है। इजराइल के नागरिकों के खिलाफ हमास की अंधाधुंध हिंसा निंदनीय है और इससे फिलिस्तीन के हित में किसी भी किस्म की मदद नहीं मिलेगी। इसके उलट, इससे फिलिस्तीन के लोगों का जीवन और ज्यादा खतरे में पड़ेगा क्योंकि इजरायल भी आम नागरिकों के हताहत होने की परवाह न करते हुए घिरे हुए इलाके पर दनादन हमले कर रहा है। लेकिन साथ ही, आधुनिक इतिहास में सबसे लंबे समय से कब्जे के तहत रहने वाला फिलिस्तीनी इलाका, एक सुलगता हुआ ज्वालामुखी रहा है। वहां कोई शांति प्रक्रिया नहीं है। इजराइल ने पश्चिमी किनारे में बस्तियां बसाना जारी रखा है, सुरक्षा अवरोधों एवं चौकियों की संख्या में इजाफा किया है, फिलिस्तीनी आंदोलनों को सीमित किया है और संगठित फिलिस्तीनियों को काबू में रखने के लिए बल या सामूहिक दंड का इस्तेमाल करने

में कभी संकोच नहीं किया है। इस यथास्थिति ने फिलिस्तीनियों को और ज्यादा कट्टरपंथी तथा हमास को और भी मजबूत बना दिया है। इजराइल ने अब युद्ध का ऐलान कर दिया है। लेकिन पिछले हमलों - जमीनी हमले और हवाई प्रहार - में हमास का कुछ खास नहीं बिगड़ पाया था। पश्चिम एशिया में हाल के वर्षों में भू-राजनैतिक बदलाव भी हुए हैं - इजराइल-अरब सुलह से लेकर ईरान-सऊदी रिश्तों तक। लेकिन इन बदलावों ने पश्चिम एशिया के असली गुनाह, फिलिस्तीन पर कब्जे को आसानी से दरकिनार कर दिया है, जिससे यथास्थिति कायम हो गई है। लेकिन यह यथास्थिति बिना किसी नतीजे के कायम नहीं रह सकती। अगर इजराइल और अन्य क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय भागीदार इस इलाके में स्थायी शांति और स्थिरता चाहते हैं, तो उन्हें अपना ध्यान फिलिस्तीन के मसले का हल निकालने पर केंद्रित करना चाहिए। असल मुद्दे पर तवज्जो दिए बगैर सैन्य कार्रवाई सिर्फ दिखावटी उपाय ही साबित होगा।

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