प्रेरणादायी रंगः 2023 का रसायनशास्त्र का नोबल पुरस्कार

‘कृत्रिम परमाणु’ बनाने वाली तिकड़ी को रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार

October 06, 2023 09:54 am | Updated 09:54 am IST

बस में सफर करना मजेदार हो सकता है अगर आपके पास अपनी सीट हो, गाड़ी में भीड़ न हो, और अच्छी हवा चल रही हो। लेकिन अगर बस लोगों से खचाखच भरी हो, तो आपका मिजाज बिगड़ सकता है। कुछ ऐसा ही परमाणुओं के साथ होता है : अगर उन्हें एक बर्तन में कम घनत्व पर रखा जाए, तो वे एक तयशुदा तरीके से व्यवहार करते हैं, लेकिन अगर उन्हें एकसाथ ठूंस-ठूंस कर इस तरह रखा जाए कि हिलने-डुलने की बहुत कम जगह हो, तो कुछ नया होता है। नया क्या होता है, यही पता लगाने वाले तीन लोगों को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 2023 का नोबेल पुरस्कार मिला है। तकनीकी रूप में बात करें तो, उन्हें ‘क्वांटम डॉट’ को खोजने और परिष्कृत (रिफाइन) करने के लिए चुना गया है। क्वांटम डॉट महज कुछ नैनोमीटर चौड़ाई वाले सूक्ष्म क्रिस्टल होते हैं। प्रत्येक क्वांटम डॉट में बस चंद हजार परमाणु (जबकि पानी की एक बूंद में सेक्सटिलियन यानी 1036 परमाणु हो सकते हैं) होते हैं। और चूंकि डॉट के भीतर परमाणु आपस में बिल्कुल सटे हुए होते हैं, इसलिए उनके इलेक्ट्रॉन एक दूसरे के बहुत नजदीक होते हैं। इस विन्यास में, क्वांटम मैकेनिक्स के नियम ‘क्वांटम डॉट्स’ के व्यवहार का बयान करते हैं – इतना ज्यादा कि पूरा डॉट एक अकेले परमाणु के व्यवहार की नकल कर सकता है। इन डॉट्स का एक और मशहूर गुण है। अगर आप एक क्वांटम डॉट पर थोड़ा प्रकाश डालें, तो यह उसे अवशोषित कर लेगा और उस प्रकाश को एक अलग आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी), जो आकार पर निर्भर करती है, पर पुन: उत्सर्जित करेगा। छोटे डॉट उच्च आवृत्ति का प्रकाश (ज्यादा नीला) उत्सर्जित करते हैं और बड़े डॉट निम्न आवृत्ति का। लिहाजा, किसी पदार्थ से बना क्वांटम डॉट एक तरह से प्रतिक्रिया करेगा, जबकि उसी पदार्थ से बना छोटा डॉट अलग तरह से प्रतिक्रिया करेगा। इन्हीं वजहों से, क्वांटम डॉट का ट्रांजिस्टर, लेजर, मेडिकल इमेजिंग, और क्वांटम कंप्यूटिंग में तरह-तरह से इस्तेमाल हो पाया है। वर्ष 1981 में, तत्कालीन सोवियत संघ में काम कर रहे, एलेक्सेई एकिमोव ने पहली बार कांच के भीतर ‘जमे हुए’ क्वांटम डॉट्स का संश्लेषण किया। दो साल बाद, अमेरिका में लुईस ब्रस ने एक घोल में क्वांटम डॉट्स को संश्लेषित किया, और उसके ‘क्वांटम-फिजिकल’ गुणों पर काम किया। आखिरकार, 1993 में मौंगी बावेंडी ने उच्च गुणवत्ता के क्वांटम डॉट बनाने का आसान और भरोसेमंद तरीका खोज निकाला। बावेंडी ने डॉ ब्रस के मातहत एक छात्र के रूप में क्वांटम डॉट पर काम शुरू किया था। इन तीनों को उनके योगदान के लिए, संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया है।

सबसे दिलचस्प वैज्ञानिक खोजों में से कुछ ऐसी हैं, जो तकनीकी रूप से काफी ऊंचे दर्जे की हैं, फिर भी उनमें एक मासूम आकर्षण है। क्वांटम डॉट इन्हीं में से एक हैं। वे जिस तरह का व्यवहार करते हैं और वैसा क्यों करते हैं, यह समझने के लिए क्वांटम मैकेनिक्स के विशेषज्ञतापूर्ण ज्ञान की जरूरत है, लेकिन क्वांटम मैकेनिक्स उनके व्यवहार को तय नहीं करती। खुद डॉ. एकिमोव रंगीन कांच में रंगों से प्रेरित हुए थे। वैसे तो क्वांटम डॉट आज एलईडी स्क्रीनों और ऑपरेशन से हटाये जाने वाले ट्यूमर की जगह को प्रकाशित कर रहे हैं, लेकिन ज्यादा अहम यह है कि रंगों – लाल, हरे और नीले – तथा उनसे और क्या प्रेरणा मिल सकती है, को नजरअंदाज होने न दिया जाए।

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