रोशनी आने दीजिए: 2023 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

वर्ष 2023 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार इलेक्ट्रॉनों के गुणों में बदलाव को मापने की तकनीकों की सराहना करता है

October 05, 2023 09:53 am | Updated 09:53 am IST

क्वांटम यांत्रिकी (मैकेनिक्स) के नियमों के अनुसार, पदार्थों - मसलन फल या चट्टान - में इलेक्ट्रॉनों के प्रत्यक्ष गुण कुछ सौ एटोसेकंड में बदल जाते हैं। एक एटोसेकंड 10-18 सेकंड का होता है। इन अत्यंत तीव्र बदलावों का अध्ययन करने के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है और इन उपकरणों के निर्माण के लिए ऐनी एल’हुइलियर, पियरे एगोस्टिनी और फेरेन्क क्रॉस्ज को 2023 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला है। वर्ष 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से, डॉ. एल’हुइलियर ने ऐसे कई अध्ययनों की अगुवाई की जिनमें यह पाया गया कि एक अक्रिय (नोबल) गैस के एक निश्चित आयतन पर एक अवरक्त (इन्फ्रारेड) किरण को डाले जाने पर कई अधिस्वर (ओवरटोन) उत्पन्न होते हैं। ये ओवरटोन ऐसी ध्वनि तरंगें होती हैं, जिनका तरंगदैर्ध्य ‘मूल’ प्रकाश तरंग का पूर्णांक-अंश होता है। उनके दल ने मूल तरंग की आवृत्ति और ओवरटोन की तीव्रता के बीच एक अजीब संबंध भी पाया और क्वांटम यांत्रिकी के मौजूदा नियमों का उपयोग करके इस पूरी प्रक्रिया की व्याख्या की, जोकि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिहाज से एक मील का पत्थर है। अगर ओवरटोन तरंगों के शिखर पंक्तिबद्ध होते हैं, तो वे अधिक तीव्र शिखर (रचनात्मक हस्तक्षेप) उत्पन्न करने के लिए संयोजित होंगे और जब एक तरंग का शिखर दूसरे तरंग के गर्त के साथ मेल खाता है, तो वे स्वयं को निष्प्रभावी बना देते हैं (विनाशकारी हस्तक्षेप)। भौतिक विज्ञानियों ने महसूस किया कि इस सुदृढ़ीकरण प्रभाव को कुछ इस तरह समयबद्ध किया जा सकता है कि अक्रिय गैस कुछ एटोसेकंड की पल्स अवधि के साथ तीव्र शिखर का उत्सर्जन करें, जिसमें विनाशकारी हस्तक्षेप अंतिम सीमा (कट-ऑफ) तक जाए। डॉ. एगोस्टिनी और उनके दल ने 2001 में 250 एटोसेकंड की पल्स अवधि के साथ प्रकाश उत्पन्न करके इसका प्रदर्शन किया। उसी साल, डॉ. क्रॉस्ज और उनके दल ने 650 एटोसेकंड अवधि की एक एकल पल्स को अलग किया और इसका उपयोग फोटॉन के एक समूह द्वारा क्रिप्टन परमाणुओं से निकाले गए इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा को मापने के लिए किया। एटोसेकंड भौतिकी आखिरकार अस्तित्व में आ गई।

इस साल के चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार ने एमआरएनए टीकों के आविष्कार और कोविड-19 महामारी पर उनके प्रभाव को सराहा। लोगों के लिए इस खोज की उपयोगिता स्पष्ट थी, जबकि एटोसेकंड भौतिकी के मामले में ऐसा नहीं है। हालांकि, साक्ष्य का अभाव दरअसल अभाव का सबूत नहीं है। बायोकैमिस्ट्री, डायग्नोस्टिक्स, सुपरकंडक्टिविटी और मैन्यूफैक्चरिंग तकनीकों सहित संभावित तत्काल मूल्य वाले परिवेश में इलेक्ट्रॉनों की विशिष्ट गतिशीलता मायने रखती है। इन पुरस्कार विजेताओं के अनुसंधान की बदौलत, वैज्ञानिकों के पास एटोसेकंड में पैदा व खत्म वाली प्रक्रियाओं की खोज के साथ अब तक अज्ञात रहने वाली संभावनाओं को उजागर करने का एक तरीका उपलब्ध है। फिर, इंसान के पास शायद ही कभी इस बात का फैसला करने के लिए सारी आवश्यक जानकारियां होती हैं कि कोई विशेष खोज या आविष्कार आगे चलकर उपयोगी होगा या नहीं। वर्ष 2016 के रसायन विज्ञान के पुरस्कार विजेताओं को अलग-अलग अणुओं के साथ मोटर बनाने के लिए सम्मानित किया गया था। यह एक ऐसी उपलब्धि थी जिसका उस समय कोई इस्तेमाल मालूम नहीं था। लेकिन इसके इस्तेमाल को संभव बनाने के लिए, उन्होंने ऐसी तकनीकें ईजाद कीं जिससे रसायन विज्ञान के अन्य हल्कों में सुधार हुआ। इन पुरस्कार विजेताओं में से एक, जे. फ्रेजर स्टोडर्ड के कथन को अगर संक्षेप में कहें, तो कुछ ऐसा बनाने का महत्वपूर्ण मूल्य है जिसका इस्तेमाल आज आसान होने से पहले मुश्किल रहा हो और “फिर भी हममें यह पता लगाने का उत्साह होना चाहिए कि [इसके इस्तेमाल] क्या हो सकते हैं”।

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